The Greatest Guide To Shodashi
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
Matabari Temple is often a sacred area exactly where people from distinct religions and cultures Get and worship.
The Devas then prayed to her to ruin Bhandasura and restore Dharma. She's believed to have fought the mother of all battles with Bhandasura – some Students are of your view that Bhandasura took various varieties and Devi appeared in numerous kinds to annihilate him. Finally, she killed Bhandasura Using the Kameshwarastra.
The supremely lovely Shodashi is united in the guts in the infinite consciousness of Shiva. She removes darkness and bestows mild.
तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥
षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या
Over click here the sixteen petals lotus, Sodhashi, who's the shape of mother is sitting down with folded legs (Padmasana) eliminates all of the sins. And fulfils each of the needs with her 16 different types of arts.
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
Since the camphor is burnt into the fireplace promptly, the sins created by the individual turn into cost-free from those. There's no any therefore have to have to seek out an auspicious time to begin the accomplishment. But subsequent durations are claimed to become Specific for this.
प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
Shodashi also means sixteen plus the perception is with the age of sixteen the Bodily body of a human being attains perfection. Deterioration sets in immediately after sixteen many years.